NDA के क्षद्म सहयोगी दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा को BJP के लिए आस्तिन का सांप कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।
उपेन्द्र कुशवाहा ने फिर NDA गठबंधन के एकता पर प्रश्न उठाकर विपक्षी दलों को तंज कसने का मौका दे दिया। कुशवाहा द्वारा गठबंधन के मर्यादा के खिलाफ उठाए गए आवाज पर कुशवाहा को एक मतदाता के हैसियत से मेरी सलाह:
उपेन्द्र कुशवाहा को समीक्षा अपनी करनी चाहिए। बीजेपी के बिना कुशवाहा अपनी सीट भी नहीं बचा पायेगा , इसमें कोई संदेह नहीं है यह अवश्यंभावी सत्य है। एक सीट पर इसे जो मंत्री बना दिया गया है यही इसके बड़बोलेपन का मुख्य कारण है। ऐसे लोगोें को गठबंधन से निकाल बाहर करने में ही फायदा है,जो हमेशा ही संवेदनशील परिस्थिति में विरोध प्रदर्शित करता हुआ पाया गया हो। इसका कोई वोटर बेस , जनाधार नहीं है, कोई काम का नहीं है यह गठबंधन पर बोझ है, इससे ज्यादा वोट तो जितन राम मांझी प्रभावित कर सकते थे। खुद बीजेपी के वोट से जितने के बाद , खैरात में मंत्री बनाए जाने के बाद भी ऐसा बयान नमकहरामी ही प्रतीत होता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उपेन्द्र कुशवाहा ने फिर NDA गठबंधन के एकता पर प्रश्न उठाकर विपक्षी दलों को तंज कसने का मौका दे दिया। कुशवाहा द्वारा गठबंधन के मर्यादा के खिलाफ उठाए गए आवाज पर कुशवाहा को एक मतदाता के हैसियत से मेरी सलाह:
उपेन्द्र कुशवाहा को समीक्षा अपनी करनी चाहिए। बीजेपी के बिना कुशवाहा अपनी सीट भी नहीं बचा पायेगा , इसमें कोई संदेह नहीं है यह अवश्यंभावी सत्य है। एक सीट पर इसे जो मंत्री बना दिया गया है यही इसके बड़बोलेपन का मुख्य कारण है। ऐसे लोगोें को गठबंधन से निकाल बाहर करने में ही फायदा है,जो हमेशा ही संवेदनशील परिस्थिति में विरोध प्रदर्शित करता हुआ पाया गया हो। इसका कोई वोटर बेस , जनाधार नहीं है, कोई काम का नहीं है यह गठबंधन पर बोझ है, इससे ज्यादा वोट तो जितन राम मांझी प्रभावित कर सकते थे। खुद बीजेपी के वोट से जितने के बाद , खैरात में मंत्री बनाए जाने के बाद भी ऐसा बयान नमकहरामी ही प्रतीत होता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you.!