आज कल एक नया फैशन चलन में आया है,ऐसा है कि जो पत्रकार बीजेपी या बीजेपी के समर्थक को जितना भला बुरा कह सकता है उसे उतना ही तटस्थ एवं ईमानदारी से अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करने वाला मसिहा मान लिया जाता है। इसमें प्रसून वाजपेई की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। इसके किसी सो को आप देख लें, ऐसा अनुभव होगा जैसे कहीं और का या दूसरे दिन का रिपिट टेलिकास्ट हो रहा है। ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि बाकी सारे चैनल किसी और मुद्दे पर चर्चा करते दिखाई देंगे, लेकिन इस व्यक्ति को पूर्वाग्रह से ग्रसित एवं निजी पारिवारिक क्षोभ के प्रभाव में सरकार विरोधी नैरेटिभ प्रर्दशित करते देखा जा सकता है। वैसे समाचार जिनमें नरेंद्र मोदी के योजनाओं एवं कार्यपद्धति की प्रशंसा हो, तब ऐसी खबरें इसके न्यूज कार्यक्रम में जगह नहीं पा सकती,और इसके विपरित ऐसी घटनाएं जिसमें दूर दूर तक मोदी जी का कोई सरोकार नहीं होने के बावजूद भी ऐसी खबरें इसके प्रोग्राम में प्रमुखता से शामिल किया जाता रहा है।
जब अखलाक की मौत होती है तब इसके लिए सिधा आरोप मोदी पर यह कहते हुए लगा दिया जाता है कि देश में अशांति और असुरक्षा का माहौल मोदी सरकार के वजह से बना है। जबकि यह क्रिस्टल क्लियर तथ्य है कि ऐसी घटनाएं आज से नहीं बल्कि हर दौर में छिट-पुट तरह से घटती रहती है। इस तरह के आपराधिक कृत्य राज्य सरकार के कानून व्यवस्था के अंतर्गत आता है। लेकिन इसी प्रकार का कोई घृणित घटना बीजेपी शासित राज्यों में घटित हो तब बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। दादरी में हुए अत्यंत ही दुखद एवं अनैतिक कृत्य अखिलेश यादव के कार्यकाल में घटित हुआ था,तब कानून व्यवस्था की दुर्दशा के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ये सारे तथाकथित बुद्धिजीवी, इमानदार एवं सेकुलर मीडिया कहे जाने वाले पाखंडियों में से किसी एक ने भी अखिलेश से न कोई प्रश्न पूछा,न ही उस सरकार की जवाबदेही के दायरे में लाया गया। परंतु जब यही घटना आज के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में घटित हो जाएं तो इसके लिए फिर से बीजेपी पर निशाना साधने में ऐसे सारे दोगले दलाल मिडिया जरा भी संकोच करते नहीं देखे जा सकते।
मैंने तो यहां एक घटना का उदाहरण के तौर पर जिक्र किया है पर आप देखेंगे कि कोई भी अप्रिय घटना घटित हो इन नकाबपोशों का का एजेंडा मोदी विरोध के ही इर्द गिर्द घूमती नजर आएंगी।
आप कोई भी घटना देख लो जब कर्नाटक में वामपंथी विचारधारा से प्रभावित पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होती है तब यह गिरोह बिना कोई विलंब के बीजेपी और संघ को दोषी ठहराने के मुहिम में सक्रिय हो जाता है। आपने भी देखा होगा इन पतित और संकीर्ण मानसिकता वाले तथाकथित सेकुलर गैंग को इन लोगों ने प्रेस क्लब में कैसे विलाप कर संघ के स्वंयंसेवकों को दोषी ठहराने का प्रयत्न किया था। जबकि वहां कांग्रेस की सरकार है। इनके निजी सर्वार्थ से प्रभावित एजेंडे को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
बाबा रामदेव से जिस तरह का प्रश्न इसने किया है, उसे आप जरूर देखें,इसका एजेंडा साफ साफ नजर आएगा। यहां पर भी दोगलापन एवं पाखंड की पराकाष्ठा स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते देखा जा सकता है।
ऐसा प्रश्न इसे हिंदू साधु संतों के खिलाफ ही करते देखा गया है,अगर तटस्थ है तो दूसरे लोगों से भी पूछकर देखो, कैसे फतवा जारी कर दिया जाएगा।
उस समय तुम्हारी ईमानदारी कहां चली गई थी जब अरविन्द केजरीवाल से इंटरव्यू फिक्स कर रहा था?
भारत का स्वर्णिम अतीत - भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक विचारधारा में अध्यात्मिक संस्कृति की झलक - अध्यात्मिक एवं भौतिक संस्कृति के समावेश, जिसमें हम जीवन के प्रतिमानों, व्यवहार के तरीकों, अनेकानेक भौतिक एवं अभौतिक प्रतीकों, परम्पराओं, विचारों, सामाजिक मूल्यों, मानवीय क्रियाओं और आविष्कारों को शामिल करते हैं।’
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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018
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