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रविवार, 11 मार्च 2018

श्री श्री रविशंकर जी का अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए किया गया प्रयास सराहनीय।

 श्री श्री जी सूर्य के भांति ही  अपने दिव्य आभा ज्योति से समस्त संसार में ज्ञान और परस्पर सौहार्द का प्रकाश उत्सर्जित करते हुए, समस्त प्राणियों से दुःख का अंधेरा मिटा रहे हैं और इस जीवन  को उत्सव रूप में व्यतित करने का सामर्थ्य प्रदान कर रहे हैं।

श्री श्री जी ने यह कभी नहीं कहा कि हमारा देश सिरिया बनने जा रहा है। प्रबुद्ध व्यक्तित्व और तुम्हारे जैसे लोगों में यह एक महत्वपूर्ण अंतर है। श्री श्री जी जैसे लोग पूर्व की घटनाओं से सबक लेते हुए, वर्तमान में  साकारात्मक प्रयास करते हैं कि फिर से भविष्य में ऐसी कोई अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, जो हमारे समाज को कलंकित करने। पर तुम जैसे लोग सुतरमुर्ग के भांति अपने सिर को जमीन में गाड़ रखे हों, इससे इस समाज की सच्चाई नहीं बदल जाएगा। जब जब ऐसे मुसीबतों का सामना हुआ है तब तब हमारे देश को विकट ,भयावह एवं हृदय विदारक   परिणाम का सामना करना पड़ा है। चाहे देश के विभाजन का दौर हो या अयोध्या के विवादित ढांचे के गिराने का विषय।
श्री श्री जी एक सार्थक प्रयास कर रहे हैं , जिससे किसी के आस्था एवं भावना को ठेस न पहुंचे। अगर समाज का सौहार्द कायम रखने के लिए भविष्य में ऐसी कोई भी अप्रिय घटना घटित नहीं हो, इसके लिए समय रहते अगाह कर रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। तुम क्या चाहते हो कि जो ऐसे ही जो हो रहा है उसे छोड़ दिया जाए, उससे बचने का प्रयास नहीं किया जाए। हम अगर आतंक से बचने के लिए सुरक्षा संबंधी प्रयास कर रहे हैं तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि यहां जर्रे जर्रे में आतंक व्याप्त है। अगर हम अग्रसोची नहीं रहें और तुम्हारे अनुसार घटना घटित होने का इंतजार करते रहे।,कि समझदारी पहले से ही ज्यादा सतर्क रहने में है। हमारे देश में सुरक्षा पर बहुत अधिक मात्रा में धन खर्च होता है इसका मतलब यह तो नहीं है कि हर वक्त हमारा देश युद्ध  में ही समर्पित है। हमें हर अनहोनी से बचने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए, और अगर कोई अप्रिय घटना नहीं घटती है तो यह और भी उत्तम रहेगा।

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