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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

नरेन्द्र मोदी पर 2019 के आम चुनाव में भी आम लोगों का भरोसा कायम- MODI IS AGAIN RIGHT/FIRST CHOICE OF THE PEOPLE IN GENERAL ELECTION 2019

नरेन्द्र मोदी पर 2019 में भी आम लोगों का भरोसा कायम

“मोदी जी के ईमानदारी, नीति, नियत, निर्णय और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर देश पर न्योछावर होकर न्यायोचित फैसला लेने की भावना से हम सभी लोग प्रेरित हैं।” 

भले परिणाम अनुमान के मुताबिक नहीं आए हैं,पर सभी को भरोसा है कि मोदी जी को और समय मिलना चाहिए, क्योंकि जिन्हें देश पचास साल तक मौका दिया पर उनलोगों ने देश का बंटाधार कर दिया है। मोदी जी ने देश की दिशा को एक नया रुख दिखाया है और भारत विकास के पथ पर अग्रसर हो चुका है बस आवश्यकता है तो विश्वास और भरोसा बनाए रखते हुए कुछ और समय देने की क्योंकि पांच साल का समय पूरे देश का कायाकल्प करने के लिए प्रर्याप्त नहीं है। अतः मोदी जी जनता के एक मात्र भरोसा हैं, देश उन्हें छोड़कर किसी अन्य विकल्प के तौर पर किसी को नहीं देख रहा। मोदी जी का इरादा साफ है उनका पहला प्रयास है कि गरीब ,कमजोर, पिछड़े वर्गो के लोग जो आजादी के सत्तर साल बाद भी मूलभूत एवं आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं, उन्हें सशक्त बनाया जाए।समाजिक एवं आर्थिक विषमताओं को दूर कर इस देश के मानव संसाधन का भरपूर इस्तेमाल कर देश को दुनिया में गौरव एवं सम्मान दिलाया जाए।
आम जनमानस की परेशानियाें को दूर करना  प्रधानमंत्री जी के एजेंडे में प्रथम वरीयता का विषय है। गरीब एवं पिछड़े लोगों से मोदी जी का भावनात्मक एवं संवेदनात्मक लगाव है,यह उनके द्वारा लागू किए जाने वाले सभी योजनाओं में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।आप जन-धन योजना या गरीब मां बहनों बेटियों के लिए रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने, सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने से लेकर सड़कों के जाल बिछाने की योजना , और इस तरह के कई काम जो गरीबों को एवं महिलाओं को हक दिलाने की एवं सशक्त बनाने का ही प्रयास है।
मुस्लिम महिलाओं पर ट्रिपल तलाक़,हलाला एवं बहु-विवाह जैसे कुरितियां जिनके आधार पर महिलाओं का शोषण होता आ रहा था, इस शर्मनाक एवं जघन्य कृत्य पर मोदी जी ने कानून लाकर करारा आघात पहुंचाया है। ऐसे अनेक कारण हैं जो आज समाज को सही दिशा प्रदान किया है। अतः यह स्पष्ट है कि २०१९ में मोदी जी का कोई विकल्प नहीं है।

यह लेख एक न्यूज चैनल के सर्वे पर व्यक्तिगत विचार को स्पष्ट करने की कोशिश करते हुए लिखा गया है।यह सर्वे 2019 के आम चुनाव के संदर्भ में है।

फर्जी पत्रकार का फर्जी एवं फिक्स्ड सर्वे।
जब पूण्य प्रसून वाजपेई अरविंद केजरीवाल से ली गई इंटरव्यू का सेटिंग कर सकता है और क्रांतिकारी बता सकता है तो सेटिंग कर क्रांतिकारी और फर्जी सर्वे क्यूं नहीं कर सकता है।

यह सर्वे उन लोगों के द्वारा किया गया है जो चाहते हैं कि मोदी जी सत्ता में दुबारा नहीं आएं। यह एक साज़िश है विपक्षी दलों को एकजुट करने का। इस सर्वे से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि अगर विपक्ष एकजुट हो तो मोदी को हरा सकते हो और अलग थलग हुए तो मोदी को हराना संभव नहीं हो पाएगा। अतः इस सर्वे के आधार पर विपक्ष को प्रेरित करने का प्रयास किया गया है। इस सर्वे के आधार पर विपक्षी दलों में यह भय पैदा किया जा रहा है और आपसी मतभेद का त्याग कर समझौता करने का सुझाव दिया जा रहा है।
तुम लोग कुछ भी कर लो राजनैतिक पंडित जी देश की जनता मोदी जी के साथ है और यह विश्वास बरकरार है कि अगर देश का कोई भला कर सकता है तो वह शख्स सिर्फ और सिर्फ मोदी जी हैं। भले कुछ मामलों में अनुमान के अनुसार परिणाम नहीं मिला है पर सभी भारतवासियों को यह विश्वास है कि कम या ज्यादा, अगर कोई भला कर सकता है तो वह मोदी जी ही हैं। क्योंकि मोदी जी के ईमानदारी, नीति, नियत, निर्णय और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर देश पर न्योछावर होकर न्यायोचित फैसला लेने की भावना से हम सभी लोग प्रेरित हैं।

बुधवार, 27 जून 2018

नरेन्द्र मोदी का 2019 में कोई विकल्प नहीं। विकास दीर्घकालीक प्रक्रिया है इस यथार्थ से हर कोई अवगत है सिवाय राहुल गांधी के।

वर्तमान  विपक्ष का चाल-चलन और चरित्र देखकर तो २०१९  ही नहीं २०२४ भी मोदी के  पक्ष में हीं रहने का अनुमान है।
यह बात लोग भली भांति समझते हैं कि संपूर्ण विकास और लोगों के सभी आकांक्षाओं को पूर्ण करना कोई 2-4 साल का काम नहीं है। यह लंबी अवधि तक चलने वाली प्रक्रिया है। विकसित राष्ट्र में भी हर किसी को संतुष्ट नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण और ध्यान देने की बात है वो है सरकार की नीति, नियत और कमजोर पिछड़े लोगों के समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता। मोदी जी की ईमानदारी, देश सेवा के लिए अथक प्रयास, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती, गरीबी खुद झेलने के वजह से गरीबी दूर करने और उनके आत्मसम्मान के लिए युद्ध स्तर पर कार्यरत। गरीब , कमजोर, पिछड़े, दलित  लोगों से भावनात्मक लगाव ।
ऐसे अनेक उदाहरण है जो उनके नियत को स्पष्ट करता है।
विकास दीर्घकालीक और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है,जो प्रयासरत रहेगा एक दिन अवश्य सफल होगा।
अब उनके कुछ योजनाओं का विपक्ष द्वारा माखौल उड़ाया जाना , विपक्ष की बौद्धिक दिवालियापन ही है। यह जरूरी नहीं कि हर प्रयास सफल ही हो जाए,पर जो प्रयासरत रहेगा,एक दिन अवश्य सफल होगा।
कांग्रेस उन फैसलों को लेती ही नहीं थी जिसमें रिस्क हो, क्योंकि उनका अंतिम गणतब्य था कुर्सी,सत्ता।
इसके विपरित मोदी जी ने सत्ता का परवाह किए बिना देशहित में कठिन फैसले लिए। ऐसे ही छोटे छोटे पहलुओं को ध्यान में रखकर एक दिन भारत का विजय पताका फहराने का श्रेय मोदी जी को समर्पित होगा।
इस बात को आसानी से ऐसे समझा जा सकता है कि जब कोई विद्यार्थी किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करता है तो कइ परीक्षाओं का सामना करता है,पर सफल एक बार होता है। उससे पहले अनगिनत बार असफल भी होता है। बुद्धिमान विद्यार्थी सभी असफलताओं से कोई न कोई सीख जरूर लेता है और इन सारे अनुभव को एक सुत्र में पिरोकर माला तैयार कर लेता है,पर दुर्भाग्यवश बुद्धिहीन व्यक्ति उसके असफलताओं पर जश्न मनाने में जुटे रहता है।

यही स्थिति आज कांग्रेस की है वह दूसरे के पराजय से ही संतुष्ट है, उसके अपने कोई न तो लक्ष्य दिखता है नहीं कोई सजगता और संवेदनशीलता ।
देश कांग्रेस के निष्यकृयता से भलि भांति परिचित है। अब इस देश को हिम्मत और साहसपूर्ण फैसले लेने वाले नेता चाहिए।आज तक कांग्रेस ने असफलता और बदनामी से बचने के लिए कोई भी ऐसे फैसले लिया ही नहीं जिसके सफलता से देश की प्रगति जुड़ी हुई थी और असफलता में सरकार गिर जाने का डर।पर इन दोनों में से कांग्रेस ने हमेशा अपने सरकार के हिफाजत की बात सोची भले देश की जनता अभावग्रस्त जीवन जीने के लिए बाध्य क्यों न हो।
और दूसरे तरफ मोदी जी हैं जिन्होंने ने सरकार की जरा भी परवाह किए बिना देशहित को प्राथमिकता दी,और इस बात से देश भलि भांति अवगत है, परिचित है।
भारत माता के एकता, अखंडता , सम्मान और संप्रभुता के साथ जिस प्रकार से असंवेदनशीलता का परिचय टूकड़े टूकड़े गैंग का समर्थन देकर किया है इसकी चर्चा अगले ब्लाग में.......
आपका आभार, धन्यवाद बहुमूल्य समय देने के लिए।

शुक्रवार, 8 जून 2018

Dr. Pranab Mukherjee chief guest at RSS Event Nagpur प्रणव दा संघ के कार्यक्रम में मोहन भागवत के साथ एक मंच पर।

आज का दिन भारतीय इतिहास में एक अत्यंत ही अद्भुत, अविस्मरणीय, अकल्पनीय एवं प्रेरणादाई अध्याय के रूप में अंकित होगा। यह मौका था जब भारत के पूर्व राष्ट्रपति  एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ मोहन भागवत जी के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए संघ के एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने नागपुर पहुंचे, और वहां दो परस्पर विरोधी विचारधारा के दिग्गज एक मंच पर अपने विचारों को प्रकट किया। यह घटना अपने आप में ऐतिहासिक रहा और उन लोगों पर करारा तमाचा जड़ने जैसा था जो संघ के विचारों और आदर्शों को पृथककारी एवं विभाजनकारी बताते हुए असहिष्णु होने का आरोप लगाया करते थे। यह सहिष्णुता का श्रेष्ठतम उदाहरण है जब संघ ने अपने से भिन्न विचारधारा को सम्मान एवं आदर देते हुए उनके  विचारों की अभिव्यक्ति प्रदान कर, उनकी अच्छी बातों को समझने एवं सीख लेने की भावना से आमंत्रित किया।
आज सबसे ज्यादा असहिष्णु वही नजर आ रहे हैं जो सहिष्णुता का वकालत करते थकते नहीं थे। आज  अवार्ड वापसी गैंग के पाखंड का पर्दाफाश हो चुका है। आज इन्हें पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणव मुखर्जी जी के विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करते हुए साफ साफ देखा जा सकता है।

Pic courtesy : ANI



   > इसके पूर्व  प्रणव दा हेडगेवार जी को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद प्रणब दा ने वहां रखी विजिटर्स बुक में अपना मत रखा। उन्होंने लिखा- मैं आज यहां भारत माता के एक महान सपूत के प्रति आदर व्यक्त करने और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने आया हूं। 

डॉ प्रणव मुखर्जी के भाषण के कुछ अंश :

           हमारे संविधान में राष्ट्रवाद की भावना बहती है। यहां कोई एक भाषा या एक धर्म नहीं है। सहनशीलता ही हमारा आधार है। और भारतीय ही हमारी पहचान है। विविधता में संवाद की बहुत गुंजाइश है। इससे ही देश को ताकत मिलती है। हमारे देश में 122 भाषा और 1600 बोलियां हैं। लोकतंत्र की प्रक्रिया में सबकी भागीदारी जरूरी है।
             डॉ मुखर्जी ने कहा- बाहरी आक्रांताओं ने देश पर आक्रमण और शासन किया। ईस्ट इंडिया कंपनियां व्यापार करने आई लेकिन बाद में यहां अंग्रेजों का शासन हो गया। लेकिन हमारा राष्ट्रवाद जीवित रहा। दुनिया का सबसे पहला राज्य है भारत। हम अलग-अलग सभ्यताओं को इस देश की संस्कृति में शामिल करते रहे। भारत एक स्वतंत्र समाज रहा है। 1800 साल तक हम दुनिया के लिए ज्ञान का केंद्र हैं। 
        राष्ट्रवादी किसी भी देश की पहचान होती है। हम विश्व को वसुदैव कुटुम्बकम के रूप में देखते हैं। यही हमारी राष्ट्रीयता है। ह्वेनसांग और फाह्यान ने हिंदुओं की बात की है। हम कई सदियों से ऐसा ही सोचते हैं। चाणक्य ने अर्थशास्त्र लिखा। अगर कोई भेदभाव है तो वो सतह पर होना चाहिए। हमारी संस्कृति एक ही रही है। इतिहासकार कहते हैं कि विविधता में एकता ही देश की ताकत है। मैं राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता की बात करने आया हूं। तीनों को अलग-अलग रूप में देखना मुश्किल है। राष्ट्रीयता को असहिष्णुता के तौर पर परिभाषित करना हमारी पहचान धुंधली करता है। यही भारत की ताकत भी है।


                                  

मंगलवार, 5 जून 2018

NDA के क्षद्म सहयोगी दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा को BJP के लिए आस्तिन का सांप कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।

NDA के क्षद्म सहयोगी दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा को  BJP के लिए आस्तिन का सांप कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा।

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उपेन्द्र कुशवाहा ने फिर NDA गठबंधन के एकता पर प्रश्न उठाकर विपक्षी दलों को तंज कसने का मौका दे दिया। कुशवाहा द्वारा गठबंधन के मर्यादा के खिलाफ उठाए गए आवाज पर कुशवाहा को एक मतदाता के हैसियत से मेरी सलाह:

उपेन्द्र कुशवाहा को समीक्षा अपनी करनी चाहिए। बीजेपी के बिना कुशवाहा अपनी सीट भी नहीं बचा पायेगा , इसमें कोई संदेह नहीं है यह अवश्यंभावी सत्य है। एक सीट पर इसे जो मंत्री बना दिया गया है यही इसके बड़बोलेपन का मुख्य कारण है। ऐसे लोगोें को गठबंधन से निकाल बाहर करने में ही फायदा है,जो हमेशा ही संवेदनशील परिस्थिति में विरोध प्रदर्शित करता हुआ पाया गया हो। इसका कोई वोटर बेस , जनाधार नहीं है, कोई काम का नहीं है यह गठबंधन पर बोझ है, इससे ज्यादा वोट तो जितन राम मांझी प्रभावित कर सकते थे। खुद बीजेपी के वोट से जितने के बाद , खैरात में मंत्री बनाए जाने के बाद भी ऐसा बयान नमकहरामी ही प्रतीत होता है।

शुक्रवार, 1 जून 2018

शत्रुघन सिन्हा का मोदी विरोधी टिप्पणी, बीजेपी को छोड़कर अन्यत्र दुर्लभ।

आज ऐसे दुश्मनों को पालते हुए बीजेपी जीत रही है यह कोई साधारण बात नहीं है। जबतक जनता का विश्वास है कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। शत्रुघन सिन्हा जी भ्रम से बाहर निकलने ही आपको सच्चाई समझ आ जाएगी। जिसके बल पर चुनावी जीत मिली है आप उसे ही कोसने से बाज नहीं आते। आपके जीत में एक वोट का मेरा भी योगदान है और आपको जो भी वोट मिला है न उसमें नरेंद्र मोदी जी का बहुत बड़ा योगदान है। अगर आपको विश्वास नहीं है तो किसी दूसरे पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर देख लिजिए। आपके सारे भ्रम दूर हो जाएंगे। आप से ज्यादा काम तो यहां एक विधायक कर जाता है। क्षेत्र के जनता के सुख-दुख में आप कितने सक्रिय और और उनके साथ खड़े होते हैं इसका मूल्यांकन मुंबई के पांच सितारा आवास में भी कभी करने का प्रयास करें। आपके तो दर्शन दुर्लभ है प्रभु। आप अपने क्षेत्र को छोड़कर बाकी पूरे देश के राजनीतिक विश्लेषक बने रहने में आनंदित रहते हैं,और वह भी खास करके तब जब कोई मुद्दा मोदी विरोधी हो। विरोध में कोई बुराई नहीं है आपका हक है और करना भी चाहिए पर ऐसे नहीं। खुलेआम विपक्षी दलों में शामिल हो जाना चाहिए जिनकी प्रशंसा करते आप थकते नहीं,पर आप ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि आप भी जानते हैं कि विचार अभिव्यक्ति की आजादी बीजेपी को छोड़कर अन्यत्र दुर्लभ है।

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रसित,पूण्य प्रसून वाजपेई द्वारा सम्मानित हिन्दू गुरुओं को दोषी बाबाओं के साथ प्रस्तुतिकरण शर्मनाक।

पूर्वाग्रह से ग्रसित कुछ तथाकथित सेकुलर गैंग जिसमें समाज के हर क्षेत्र के लोग एक हिंदुत्व विरोधी नैरेटिभ के पक्षधर अपने निजी स्वार्थ साधने के उद्देश्य से कार्यरत हैं। इसमें आज मैं ABP NEWS के पत्रकार पूण्य प्रसून बाजपेई और अभिसार शर्मा की चर्चा करना चाहता हूं।एक टीवी कार्यक्रम में हिन्दू धर्म के प्रमुख ध्वज वाहकों को जब एक सोची समझी रणनीति के तहत कुछ आरोपित बाबाओं के साथ चित्र साझा कर परोक्ष रूप से अपमानित करने का प्रयास किया जा रहा है। हिन्दू धर्म के ऐसे गुरुओं तस्वीरें दिखाई है जिनपर जूर्म तो दूर तुम्हारे जैसे नकारात्मकता के वाहक के पास एक सबूत तक नहीं होता,पर लांछन लगाना ही तुम जैसे बिके लोगों का धंधा है ,एजेंडा है।

महर्षि महेश योगी,श्री श्री रविशंकर जी एवं रामदेव बाबा जैसे संतों को बदनाम करने की अभिलाषा से तुमने चालाकी के साथ इनकी तस्वीरें उन भ्रष्ट एवं अनैतिक कृत्य वाले लोगों के साथ दिखा दिया।
क्या बुराई है अगर कोई बाबा या संत देश के समृद्धि के समर्पित हैं। महर्षि महेश योगी ने जिस प्रकार से  transcendental meditation को पूरे विश्व में खासकर अमेरिका और यूरोप के देशों में प्रसारित किया,वह अकल्पनीय है। उन्होंने भारत माता के यश और कीर्ति में बहुमूल्य योगदान दिया है।
संक्षेप में ही अब श्री श्री की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताना चाहता हूं कि श्री श्री ने जिस प्रकार से सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने का प्रयास करते हुए  पूरे विश्व में शांति एवं सद्भाव का वातावरण स्थापित किया है उसे समझना तुम्हारे योग्यता से परे है। भारत में कितने ही नक्सलियों का आत्मसमर्पण कराकर उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने का प्रशंसनीय कार्य किया है। विश्व के कई पिछड़े देशों में गृहयुद्ध को विराम देने वाले फैसले कर असंख्य लोगों को जीवन को संवारने में अद्भुत योगदान दिया है।
अब नक्सलियों के आकाओं से तो ऐसी आकांक्षा तो बिल्कुल नहीं कर सकते कि उनके द्वारा इस कार्य की प्रशंसा होगी। पर हां जिन लोगों की जिंदगी दांव पर थी उन्हें जब श्री गुरुदेव द्वारा नव जीवन का तोहफा मिला तब उनके आनंद एवं श्रद्धा की पराकाष्ठा की कल्पना नहीं किया जा सकता।
और अब बाबा रामदेव, जो इस देश में कर्मयोगी का वास्तविक स्वरूपहैं। बाबा रामदेव जी के सामाजिक सांस्कृतिक और स्वास्थ्य वर्धन में जो अकल्पनीय योगदान है वह विश्लेषण से परे है। एक अभावग्रस्त इंसान किस अटल विश्वास और पुरुषार्थ के पराकाष्ठा कर एक कर्मयोगी कैसे किसी भी लक्ष्य को साध सकता है, इस श्रेणी में विश्व का एकमात्र उदाहरण बाबा रामदेव हैं।
बाबा ने अपने जीवन में सादगी के साथ जो समृद्धि लाई है वह अद्भुत एवं अकल्पनीय है। समाज में विद्वेष का समापन कर सद्भाव और समृद्धि का अद्वितीय प्रयास कर रहे हैं तब कुछ विभाजनकारी शक्तियां को व्यथा, वेदना एवं पीड़ा महसूस हो रहा है।
ऐसे ही लोग आज हिंदू धर्म के प्रमुख ध्वज वाहकों के चरित्र एवं संस्कार को धूमिल करने का तथा अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं।
पर मैं और तमाम देशवासी सारे देशविरोधी तथाकथित सेकुलर गिरोह को आगाह करते हुए कहना चाहता हूं कि अब तुम्हारे दिन लद चुके हैं,देश की जनता आज जागरुक और पहले से ज्यादा संवेदनशील हो चुकी है, हिंदुत्व का परचम लहराने में किसी भी अवरोध को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
वंदे मातरम्!
भारत माता की जय!
सनातन धर्म की जय।
  


रविवार, 15 अप्रैल 2018

मोदी राज के अच्छे दिन का सबसे बड़ा प्रमाण।

यह ब्लाग प्रवीण तोगड़िया के एक टीवी कार्यक्रम मे पूण्य प्रसून बाजपेई द्वारा किए गए साक्षात्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते लिखा गया है।
प्रसून जी , अरविंद केजरीवाल वाले क्रांतिकारी साक्षात्कार के बाद फिर से तोगड़िया को पढ़ा समझाकर वहीं क्रांतिकारी बहुत ही क्रांतिकारी... षड़यंत्र की बू आ रही है श्रीमान प्रसून जी।
कभी ऐसा ही क्रांतिकारी साक्षात्कार बीजेपी वालों के लिए डिजाइन करो भाई, तुम्हारे जैसे डिजाइनर पत्रकार खुद ही अपने आप को एक्सपोज कर अपनी विश्वसनीयता खो दिया है।
तुम्हारे कृत्यों से मोदी जी के प्रति घृणा एवं नफरत की बू आती है।
मोदी जी के पराक्रम ने कितने ही रंगा सियार की असलियत को सामने लाकर इन्हें बेरंग कर दिया है, पाखंड एवं दोगले चरित्र रूपी काले बादल के आड़ में निजी स्वार्थ साधने वाले पाखंडियों को नंगा कर दिया।
कल तक तोगड़िया के कट्टर विरोधी रहे लोग आज तोगड़िया के लिए बहुत सहानुभूति दिखा रहे हैं।
मोदी जी के प्रभाव में तो एक दूसरे के कट्टर विरोधी आज गले मिल रहे हैं। जब तोगड़िया के लिए सहानुभूति मुस्लिम  धर्मगुरु दिखा रहे हो, राहुल गांधी अपने को जनेऊधारी हिन्दू ब्राह्मण बताते नहीं थक रहा, माया मुलायम जो एक दूसरे को मरने मारने की बात करते थे आज परम मित्र बने हैं।
अब आप ही बताइए कि मोदी जी देश जोड़ रहे हैं कि तोड़ रहे हैं?
भला इससे अच्छा दिन और क्या हो सकता है?

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

आज कल एक नया फैशन चलन में आया है,ऐसा है कि जो पत्रकार बीजेपी या बीजेपी के समर्थक को जितना भला बुरा कह सकता है उसे उतना ही तटस्थ एवं  ईमानदारी से अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करने वाला मसिहा मान लिया जाता है। इसमें प्रसून वाजपेई की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। इसके किसी सो को आप देख लें, ऐसा अनुभव होगा जैसे कहीं और का या दूसरे दिन का रिपिट टेलिकास्ट हो रहा है। ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि बाकी सारे चैनल किसी और मुद्दे पर चर्चा करते दिखाई देंगे, लेकिन इस व्यक्ति को पूर्वाग्रह से ग्रसित एवं निजी पारिवारिक क्षोभ के प्रभाव में सरकार विरोधी नैरेटिभ प्रर्दशित करते देखा जा सकता है। वैसे समाचार जिनमें नरेंद्र मोदी के योजनाओं एवं कार्यपद्धति  की प्रशंसा हो, तब ऐसी खबरें इसके न्यूज कार्यक्रम में  जगह नहीं पा सकती,और इसके विपरित ऐसी घटनाएं जिसमें दूर दूर तक मोदी जी का कोई  सरोकार नहीं होने के बावजूद भी ऐसी खबरें इसके प्रोग्राम में प्रमुखता से शामिल किया जाता रहा है।
जब अखलाक की मौत होती है तब इसके लिए सिधा आरोप मोदी पर यह कहते हुए लगा दिया जाता है कि देश में अशांति और असुरक्षा का माहौल मोदी सरकार के वजह से बना है। जबकि यह क्रिस्टल क्लियर तथ्य है कि ऐसी घटनाएं आज से नहीं बल्कि हर दौर में छिट-पुट तरह से घटती रहती है। इस तरह के आपराधिक कृत्य  राज्य सरकार के कानून व्यवस्था के अंतर्गत आता है। लेकिन इसी प्रकार का कोई घृणित घटना बीजेपी शासित राज्यों में घटित हो तब बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। दादरी में हुए अत्यंत ही दुखद एवं अनैतिक कृत्य अखिलेश यादव के कार्यकाल में घटित हुआ था,तब कानून व्यवस्था की दुर्दशा के लिए  तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ये सारे तथाकथित बुद्धिजीवी, इमानदार एवं सेकुलर मीडिया कहे जाने वाले पाखंडियों में से किसी एक ने भी अखिलेश से न कोई प्रश्न पूछा,न ही उस सरकार की जवाबदेही के दायरे में लाया गया। परंतु जब यही घटना आज के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में घटित हो जाएं तो इसके लिए फिर से बीजेपी पर निशाना साधने में ऐसे सारे दोगले दलाल मिडिया जरा भी संकोच करते नहीं देखे जा सकते।
मैंने तो यहां एक घटना का  उदाहरण के तौर पर जिक्र किया है पर आप देखेंगे कि कोई भी अप्रिय घटना घटित हो इन नकाबपोशों का का एजेंडा मोदी विरोध के ही इर्द गिर्द घूमती नजर आएंगी।
आप कोई भी घटना देख लो जब कर्नाटक में वामपंथी विचारधारा से प्रभावित पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होती है तब यह गिरोह बिना कोई विलंब के बीजेपी और संघ को दोषी ठहराने के मुहिम में सक्रिय हो जाता है। आपने भी देखा होगा इन पतित और संकीर्ण मानसिकता वाले तथाकथित सेकुलर गैंग को इन लोगों ने प्रेस क्लब में कैसे विलाप कर संघ के स्वंयंसेवकों  को दोषी ठहराने का प्रयत्न किया था। जबकि वहां कांग्रेस की सरकार है। इनके निजी सर्वार्थ से प्रभावित एजेंडे को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
बाबा रामदेव से जिस तरह का प्रश्न इसने किया है, उसे आप जरूर देखें,इसका एजेंडा साफ साफ नजर आएगा। यहां पर भी दोगलापन एवं पाखंड की पराकाष्ठा  स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते देखा जा सकता है।
ऐसा प्रश्न इसे हिंदू साधु संतों के खिलाफ ही करते देखा गया है,अगर तटस्थ है तो दूसरे लोगों से भी पूछकर देखो, कैसे फतवा जारी कर दिया जाएगा।
उस समय तुम्हारी ईमानदारी कहां चली गई थी जब अरविन्द केजरीवाल से इंटरव्यू फिक्स कर रहा था?

गुरुवार, 5 अप्रैल 2018

मोदी सरकार के विरुद्ध अब उनके समर्थकों में भी बढ़ती जा रही है नाराजगी ।

हमलोग तो किसी भी हाल में मोदी का समर्थन करते ही आए है,पर अगर सत्ता के नशे में आम जनमानस के भावनाओं को आहत करेंगे तो बहुत मुश्किल होगा अबकी बार मोदी सरकार!! अभी भी समय है कुछ तो कर दो। सब तरफ हाहाकार मचा है, आज की घटना है इस भीषण गर्मी में राजधानी पटना के 80 % एटीएम में कैश की उपलब्धता न होने के कारण सभी लोग एटीएम से एटीएम दौड़ने को मजबुर है, पर किसी जगह पैसे नहीं है। अब इस झुलसाने वाली गर्मी में कोई 15-20 km भटकने के बाद भी खाली हाथ लौट आए, इन आम लोगों में आक्रोश होना लाजमी है। जिसे जो समझ में आ रहा है,अपना अपना आर्थिक विश्लेषण कर रहा है। उदाहरण के लिए मैं पब्लिक प्लेस, एटीएम  जैसे स्थान पर खड़े लोगों के बात चीत का कुछ अंश यहां रखना चाहूंगा। आश्चर्य की बात यह है कि कोई कुछ भी बोल रहा है,सभी सच्चाई मानकर सुन रहे हैं। जब लोग परेशान हो ,तब सत्यता साबित करने के लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है, कोई भी सही या ग़लत तर्क हो , व्यवस्था के विरुद्ध कहीं गई सारी बातें सत्य मान लेते हैं आम लोग।
पब्लिक प्लेस पर आम लोगों के  बात चीत के कुछ  प्रमुख अंश-(I am quoting the common public gossips against this govt)
१. सारा पैसा निरव मोदी लेकर भाग गया।
२. बैंक डुबने वाले हैं,
३. नोटबंदी फेल हो गया, यहां भी हेर फेर का संदेह व्यक्त करते दिखाई देंगे।
४. जीएसटी के कारण सारा पैसा बैंकों में जमा है, बैंक उसपर मुनाफा कमा सकते हैं।
५. निजी क्षेत्र के बैंक के मालिकों का मोदी से अच्छा संबंध होने के कारण ईरादातन मोदी जी लाभ पहुंचा रहे हैं ‌
६. रोजगार की संभावनाएं कैसी है किसी से छिपा नहीं है।
७. कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास भी नहीं हो पाया।
८. काला धन वापस आने का अब कोई उम्मीद नहीं बचा।
९. सैनिकों के सम्मान में अलगाववादी,पत्थरबाजो ने नीचता की सारी हदें लांघ दी।
१०.धारा ३७० हटाना तो दूर चर्चा भी नहीं हो
११. आर्मी के जवान पर केश दर्ज कराया जाना वह भी मुफ्ती को खुश करने के लिए।
..... ऐसे बहुत विषय आम जनता के चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
etc ...

मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

अमर्यादित एवं अनैतिक पत्रकारिता के घातक प्रभाव।

 भारत बंद ,sc st protection act में संशोधन के विरोध में दलित समुदाय का Bharat band, हिंसा

अभी मैं एक न्यूज चैनल के एक कार्यक्रम, जो दलितों के कानून में सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के खिलाफ तथाकथित दलित समुदाय द्वारा किए गए आंदोलन में हुए उपद्रव और हिंसा पर आधारित रिपोर्ट था। आप हैरान हो जाएंगे जब जानेंगे कि ऐसे संवेदनशील परिस्थिति में मिडिया जैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता पत्रकार इतना संवेदनहीन और अज्ञानी कैसे हो सकता है।  वह भी आज के इस दौर में जहां स्टुडियो से प्रसारित होने वाले एक एक शब्द   देश-दुनिया में तत्काल प्रभाव से असर डाल सकता है, यहां से की गई कोई भी गलती पूरे देश में नफरत और असुरक्षा का वातावरण बना सकता है,ऐस ऐ में जिम्मेवार भी बड़ी है और यहां एक भी गलती की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। इस ब्लॉग में मै एक रिपोर्ट में Voice over देने वाले रिपोर्टर दंगाइयों से ज्यादा खतरनाक साबित होता नजर आ रहा है। अभी सरकार में इसे सौ गलतियां दिख रहा है, कोर्ट के फैसले के खिलाफ दस दिन बाद सरकार ने विरोध दर्ज कराया, उसमें भी चार पांच दिन छुट्टी के थे। अगर पुलिस कठोर निर्णय ले लिया होता तब जान माल की क्षति बढ़ जाती और स्थिति अनियंत्रित होने की पूरी संभावना बनी रहती। पर इस रिपोर्टर को तो दूसरे लोगों के लासों पर टि.आर.पी. का नंगा नाच चाहिए।  इसका तो कुछ बिगड़ना नहीं है,पर नरभक्षी विचारधारा के पोषकों सारे नैतिकता का तिलांजलि दे रखे हो? अनपढ़ ,संवेदनहीन , अमानवीय लोगों का पत्रकारिता के क्षेत्र में होना अत्यंत घातक सिद्ध हो सकता है।
इस आग को हवा देने वाले विपक्ष के लिए धृतराष्ट्र बना बैठा है,उल्टे सरकार को दोषी ठहराने में नीचता की सारी हदें लांघ चुका। जब स्थिति खराब हो चुकी थी तब सरकार ने पुलिस को संयमित रहकर कार्रवाई करने का आदेश दिया,यह तो सराहनीय प्रयास है। अगर उग्र आंदोलन पर बल प्रयोग कर दबाने का कोशिश किया जाता तब इसका परिणाम कहीं और विध्वंसक हो सकता था, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि शक्ति प्रयोग का परिणाम कितना घातक और विनाशकारी होता!
सरकार का विरोध कर ऐसे पतित लोग बेशर्मी की पराकाष्ठा कर दिया है। शांति स्थापित करने के लिए किए गए प्रयासों को बल प्रदान और समर्थन देने की आवश्यकता है।किसी भी जिम्मेवार सामाजिक संगठन या संस्था को शांति प्रदान करने वाले पक्ष को उजागर करने की कोशिश करनी चाहिए,पर दुर्भाग्यवश ये सपोले आग में घी डालने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।
मिडिया का अपने सामर्थ्य का सकारात्मक उपयोग कर सकारात्मक परिणाम प्रदान करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का उत्तरदायित्व है,पर दुर्भाग्यवश दूसरे लोगों के जलते अस्तित्व पर तमाशा देखने वाले जब अपने उत्तरदायित्व को भूलकर अपने आकाओं के गुलामी में तलवे चाटते नजर आए तब परिणाम बहुत ही विनाशकारी होने की संभावना होगी।

शनिवार, 31 मार्च 2018

भारत सरकार के खिलाफ विपक्षियों के पास साकारात्मक आलोचना के ठोस तर्क के अभाव में देश विरोधी विचार को हवा देना दुर्भाग्य का विषय!

तथाकथित सेकुलर गिरोह जिसमें दलाल मिडिया और भ्रष्ट नेताओं की जुगलबंदी एक स्लिपर सेल के रूप में कार्यरत हैं, जिनका मकसद ही है भारत विरोधी गतिविधियों को हवा देना। अगर हम इनके गतिविधियों पर नजर डालें तो पाएंगे कि हर घटना,खबर को अपने एजेंडे के तहत देश हित के विरुद्ध एक नया रंग देने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं। आज तक इन राष्ट्रविरोधी तत्वों के पास ही बुद्धिजीवी वर्ग कहलाने का कापीराइट था। ऐसे तत्वों को लगता था कि देश का एजेंडा तय करना उनके एकाधिकार है। क्योंकि ऐसे तत्वों का  ही जनसंपर्क के माध्यमों में बहुलता थी।
देश विरोधी नैरेटिभ को समाज में स्थापित करने के लिए इन्हें मोटी रकम एवं सुख सुविधा के अलावा विदेश भ्रमण ,अय्यासी जैसे तमाम प्रलोभन दिया जाता रहा है। राजनेताओं की  वफादारी सिर्फ वोट बैंक की तुष्टिकरण द्वारा सत्ता हासिल करने और कुर्सी मिल जाए तो लूट खसोट कर धन अर्जित करने से है।
आज हम लोगों को सोसल मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप इन  नकाबपोशों का नंगा स्वरुप हमारे सामने है। इन पाखंडियों के पास कुछ ऐसे विचारधारा रुपी हथियार है जिसका इस्तेमाल कर अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
Most lethal weapon...
1.) मानवाधिकार पर आघात
2.) अभिव्यक्ति की आजादी
3.) सहिष्णुता और असहिष्णुता का प्रश्न
4.) तथाकथित धर्मनिरपेक्षता...
...... इसके अलावा और भी कई हथकंडे  अपने अनैतिक, देशविरोधी कृत्य को परिणाम तक पहुंचाने के लिए अपनाया जाता रहा है।

नवजोत सिंह सिद्धू (गुलाटी किंग)के वैचारिक एवं नैतिक पतन,जब वैचारिक गुलाटी मारते हुए अपने विचारधारा को मैडम के चरणों में नतमस्तक/समर्पित कर दिया।

 नवजोत सिंह सिद्धू में पहले वाली बात नहीं रही,अब सिद्धू गुलाटी किंग की भूमिका बेहतरीन तरीके से निभा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के मिट्टिंग में जिस तरह से इन्होंने  गुलाटी मारा है,सारा देश अचंभित है। इनके पुराने और नए विडियो के संकलन से तैयार किया गया तुलनात्मक समीक्षा वाले विडियो लोगों को इस शो से ज्यादा मनोरंजित कर रहे हैं। इस अवसरवादिता के दौर में लोगों के वास्तविकता को जान पाना लगभग असम्भव है।
किसी भी पार्टी में शामिल होकर देश सेवा करना हर व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है, इसे न कोई छिन सकता है,और न ही कोई रोक सकता है। यह आपका व्यक्तिगत निर्णय है और इससे किसी को कोई समस्या होना भी नहीं चाहिए। आप किस पार्टी या व्यक्ति के साथ देश में अपना अधिकतम योगदान दे सकते हैं, आपको किसके साथ अपने महत्त्वाकांक्षाओं को सफलता के शिखर तक पहुंचाने में सहुलियत मिल सकती है यह निर्णय सिर्फ और सिर्फ आपका ही हो सकता है,और आपके निर्णय का देशवासियों द्वारा भरपूर सम्मान भी मिला।
देश आश्चर्यचकित, अचंभित तब हुआ जब आपने निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु जबरदस्त वैचारिक, राजनैतिक गुलाटी मारा। इसके पूर्व आपको इस देश का हर व्यक्ति दहाड़े मारने वाला शेर समझता था,चाहे वह किसी भी पार्टी का समर्थक क्यों न हो। आपने निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु जो वैचारिक, सैद्धांतिक एवं नैतिक मूल्यों की तिलांजलि दी है,वह आपके समर्थकों के लिए अत्यंत ही दुखद और निराशाजनक निर्णय साबित हुआ है। आपने स्वयं ही अपने विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा लिया है। आपने करोड़ों देशवासियों को इस अवसरवादिता की राजनीति से प्रभावित होकर जो अपना वैचारिक, नैतिक एवं सैद्धांतिक पतन का पराकाष्ठा प्रस्तुत किया है वह अत्यंत ही अपमानित करने वाला कृत्य है। आपने अपने समर्थकों के साथ जो विश्वासघात किया है वह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है, आपके इस व्यक्तिगत लाभ के लिए लिए गए निर्णय से सबसे ज्यादा समाज का वह वर्ग प्रभावित होगा,जो सच में अपने जीवन की आहूति  किसी परिणाम की चिंता किए बगैर, यश अपयश के धरातल से उपर उठकर देशसेवा में समर्पित कर रखा है। आपके इस वैचारिक यू-टर्न ने निस्वार्थ सेवा भाव से देश की प्रगति के लिए अपने सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले महान देशभक्तों के त्याग को कलंकित किया है, उनके नियत पर देशवासियों को संसय करने के लिए मजबुर किया है। आप  जिस तरह से खुद को उनके चरणों में नतमस्तक, समर्पित किया है, जिन लोगों के निंदा में आपने सारे मर्यादा, नैतिकता, सिद्धांत एवं हदें लांघ चुके थे। 

गुरुवार, 15 मार्च 2018

नरेश अग्रवाल को भाजपा में शामिल करना, कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक।

समाजवादी पार्टी (एसपी) के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने पार्टी छोड़कर भाजपा

 भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने अग्रवाल की टिप्पणी से तुरंत पार्टी को अलग बताया और कहा कि उनकी पार्टी सभी क्षेत्रों के लोगों का सम्मान करती है और राजनीति में उनका स्वागत करती है। इसके कुछ घंटे बाद भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर अग्रवाल के बयान की आलोचना की।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया, '' नरेश अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उनका स्वागत है। बहरहाल, जया बच्चन जी के खिलाफ उनके बयान अनुपयुक्त और अस्वीकार्य हैं।



 का दामन थाम लिया है। दिल्ली में बीजेपी हेडक्वॉर्टर पहुंचकर नरेश ने बीजेपी की औपचारिक रूप से सदस्यता ग्रहण की है। हाल ही में राज्यसभा के लिए जया बच्चन को तरजीह दिए जाने से नरेश पार्टी से नाराज चल रहे थे। 

नरेश अग्रवाल जैसे लोगों को पार्टी में शामिल करने से कार्यकर्ताओं में बहुत नाराजगी  थी। हम लोगों ने कुछ ही समय पहले हिन्दू देवी देवताओं को नरेश अग्रवाल द्वारा अपमानित करने का जो अनैतिक कृत्य किया गया था उसके खिलाफ हल्ला बोला था । हमारे आस्था पर प्रहार करने वाला शख्स, भारतीय सेना पर भला बुरा बोलने वाले शख्स , जिसका राष्ट्रीय धरोहर का अपमान करना ही राजनैतिक संस्कार रहा हो, उसे अलग थलग करने के बजाय उसे पार्टी का सम्मानित सदस्यता प्रदान कर पुरस्कृत किया गया।
हमारे जैसे छोटे कार्यकर्ताओं को  पार्टी से कोई भी आर्थिक सहायता  या सपोर्ट  नहीं मिलता नहीं कोई चाह रखते हैं।
हमारे जैसे लोगों के लिए यही बहुत है कि हमने जिस विचार धारा का समर्थन किया है, वो नैतिकता के हर पैमाने पर खरा उतरे तथा राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझे। देश और देशवासियों के आन ,बान और शान  पर कोई आंच नहीं आने दिया जाए।
कल तक जिसे राष्ट्र विरोधी, हिन्दू विरोधी कहकर नैतिकता के मानदंड पर कठघरे में खड़े करते थे, आज  उसी को पार्टी में शामिल करना पड़ा,यह पाखंड नहीं है तो क्या है?
हम  लोग ठगे ठगे से महसूस कर रहे हैं , अपनों से अपमानित होना बहुत ही दुर्भाग्य की बात है।
किसी पार्टी के लिए जब सिद्धांत से बढ़कर अवसरवादिता हो जाए, तो यह बहुत ही अशुभ एवं विनाशकारी  भविष्य का द्योतक है।
हमारे जैसे कितने लोग बिना किसी स्वार्थ  के, राष्ट्रहित भावों से अभिभूत होकर  अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, उसके पीछे मात्र एक ही कारण है कि पार्टी द्वारा किया गया हर कार्य देश के मस्तक को ऊंचा उठाने वाला हो, हमारे संस्कृति, संस्कार को बल प्रदान करने वाला हो।
वैसे इस  चुनाव को  इतना प्रमुखता दी जाने की कोई जरूरत नहीं है। आज भी हम नाराज है पर मोदी जी पर आंच नहीं आने देंगे। कितना भी नाराजगी क्यों न हो, अपने घर में तो न आग लगाएंगे न ही किसी को लगाने देंगे। परिवार से नाराज़गी जताई जा सकती है, पर वाह्य आक्रमण  की स्थिति में हम अपने सारे वैमनस्यता को छोड़कर  जी जान से लग जाएंगे। अतः बूआ, बबूआ ,पप्पूआ ज्यादा खुश न हो। मोदी जी पर कोई आंच नहीं आने देंगे । पार्टी विचारधारा पर समझौता नहीं करेंगे, क्योंकि कार्यकर्ताओं का एक मात्र हथियार विचारधारा ही है। हमारी सारी लड़ाई विचारधारा पर ही केंद्रित होता है।
समाजवादी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए नरेश अग्रवालअको लेकर विश्व हिंदू परिषद ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। अग्रवाल को बीजेपी में लेने का फैसला वीएचपी को पच नहीं रहा है। वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि नरेश अग्रवाल की पृष्ठभूमि पूर्ण हिंदू विरोधी है, जो ठीक नहीं है। 

नरेश अग्रवाल ने बीजेपी में शामिल होने के साथ ही सांसद जया बच्चन को लेकर जो बयान दिया, उससे भी वीएचपी नाराज है। हालांकि अग्रवाल ने अपने बयान पर खेद प्रकट किया है, लेकिन वीएचपी ने कहा कि संगठन को उनके बयान पर घोर आपत्ति है। वीएचपी नेता सुरेंद्र जैन ने एनबीटी से बात करते हुए कहा, 'हमें लगता है कि बीजेपी को बाहर से लोगों को लेना तो चाहिए, लेकिन किसी को भी पार्टी में लेते वक्त उनकी पृष्ठभूमि की जांच बहुत जरूरी है।' जैन ने कहा कि नरेश अग्रवाल ने जया बच्चन को लेकर जो बयान दिया वह घोर आपत्तिजनक है और महिला विरोधी है। वीएचपी इसकी कड़ी आलोचना करती है।

वीएचपी नेता ने कहा कि ऐसा व्यक्ति जिसका अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं रहा हो, उसे पार्टी में शामिल करते वक्त बीजेपी को सावधानी बरतनी चाहिए थी। ऐसे लोग एसेट कम और लायबिलिटी ज्यादा बन जाएंगे। वीएचपी नेता ने साफ कहा कि नरेश अग्रवाल की हिंदूविरोधी पृष्भूमि है, जो बिल्कुल ठीक नहीं है। वीएचपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक तरफ हम अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर काम कर रहे हैं दूसरी तरफ नरेश अग्रवाल का राज्यसभा में दिया गया वह बयान जो हिंदू देवी देवताओं का अपमान है, वह हमारे लिए भी असुविधा कि स्थिति पैदा कर सकता है। 

रविवार, 11 मार्च 2018

श्री श्री रविशंकर जी का अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए किया गया प्रयास सराहनीय।

 श्री श्री जी सूर्य के भांति ही  अपने दिव्य आभा ज्योति से समस्त संसार में ज्ञान और परस्पर सौहार्द का प्रकाश उत्सर्जित करते हुए, समस्त प्राणियों से दुःख का अंधेरा मिटा रहे हैं और इस जीवन  को उत्सव रूप में व्यतित करने का सामर्थ्य प्रदान कर रहे हैं।

श्री श्री जी ने यह कभी नहीं कहा कि हमारा देश सिरिया बनने जा रहा है। प्रबुद्ध व्यक्तित्व और तुम्हारे जैसे लोगों में यह एक महत्वपूर्ण अंतर है। श्री श्री जी जैसे लोग पूर्व की घटनाओं से सबक लेते हुए, वर्तमान में  साकारात्मक प्रयास करते हैं कि फिर से भविष्य में ऐसी कोई अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो, जो हमारे समाज को कलंकित करने। पर तुम जैसे लोग सुतरमुर्ग के भांति अपने सिर को जमीन में गाड़ रखे हों, इससे इस समाज की सच्चाई नहीं बदल जाएगा। जब जब ऐसे मुसीबतों का सामना हुआ है तब तब हमारे देश को विकट ,भयावह एवं हृदय विदारक   परिणाम का सामना करना पड़ा है। चाहे देश के विभाजन का दौर हो या अयोध्या के विवादित ढांचे के गिराने का विषय।
श्री श्री जी एक सार्थक प्रयास कर रहे हैं , जिससे किसी के आस्था एवं भावना को ठेस न पहुंचे। अगर समाज का सौहार्द कायम रखने के लिए भविष्य में ऐसी कोई भी अप्रिय घटना घटित नहीं हो, इसके लिए समय रहते अगाह कर रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। तुम क्या चाहते हो कि जो ऐसे ही जो हो रहा है उसे छोड़ दिया जाए, उससे बचने का प्रयास नहीं किया जाए। हम अगर आतंक से बचने के लिए सुरक्षा संबंधी प्रयास कर रहे हैं तो इसका मतलब यह तो नहीं है कि यहां जर्रे जर्रे में आतंक व्याप्त है। अगर हम अग्रसोची नहीं रहें और तुम्हारे अनुसार घटना घटित होने का इंतजार करते रहे।,कि समझदारी पहले से ही ज्यादा सतर्क रहने में है। हमारे देश में सुरक्षा पर बहुत अधिक मात्रा में धन खर्च होता है इसका मतलब यह तो नहीं है कि हर वक्त हमारा देश युद्ध  में ही समर्पित है। हमें हर अनहोनी से बचने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए, और अगर कोई अप्रिय घटना नहीं घटती है तो यह और भी उत्तम रहेगा।